8TH SEMESTER ! भाग-15 ( Worst Days of My Life)
"व्हाट..."नाक सिकोडती हुए Sharon, अरुण की तरफ देखी .
"हवेली मे मिलना फिर बताउन्गा तुझे ,व्हाट... बडी आयी, अरुण जी का introduction लेने वाली.. चल हट "
"ये तो बहुत डेरिंग है साला..."इस वक़्त मेरी दोनो आँखे दो तरफ देख रही थी, मैं कभी Sharon का चेहरा देखता तो कभी अरुण का और मुझे ना जाने क्या सूझा मैं अरुण के कान मे धीरे से बोला...
"तेरे लिए पर्फेक्ट माल है..."
"ज़िंदगी भर हाथ का सहारा ले लूंगा, लेकिन इसके साथ... नही.. never.. साली, ज़िन्दगी भर मुँह तिरछा करके introduction ही लेटे रहेगी.. ऊपर से इसका fake accent... छी.. आककक थू......"
अरुण तो Sharon को धमकी देकर चुप हो गया, लेकिन अब अगला नंबर मेरा था ,उस वक़्त मुझे भी खड़े होकर अरुण की तरह बोल देना चाहिए था कि"जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो हवेली मे आकर मिले,...."
लेकिन मुझमे उस वक़्त उतनी हिम्मत नही थी, सबके सामने जाने से दिल घबरा रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठा और जैसे -जैसे मेरे कदम आगे बढ़े, मैं अंदर ही अंदर काँपने लगा....
"गुडमॉर्निंग , फ्रेंड्स... आइ'म अरमान..."एक मरी सी आवाज़ मेरे मुँह से निकली...जिसे सामने वाले बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स ही मुश्किल से सुन पाए होंगे.....
"प्लीज़ स्पीक लाउड्ली...."Sharon फिर बोली....
उस वक़्त Sharon का फेस देखकर मन कर रहा था कि अपना जूता उतारकर सीधे उसके मुँह पे दे मारू,...और उसी वक़्त सिविल सब्जेक्ट वाली मैम अंदर घुसी और घुसते ही मुझे पर गोली दाग दी....
"यहाँ क्या कर रहे हो खड़े होकर.... ज्यादा हीरो बनने का शौक है..? भेजू बाहर...?"
"व...व...वो वो कुछ नही, बस अपना introduction दे रहा था और कुछ नही...."
"बड़े आए इंट्रोडक्शन देने वाले.. बैठो अपनी जगह पे....."
"क्या है यार... ये... बिना गलती के चमका दे रहे लोग..."अपनी जगह पर जाते हुए मै मन ही मन जोर से चिल्लाया
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"देख बे, वो बाजीराव सिंघम पूरे कॉरिडर मे घूम रहा है..." क्लास के दौरान अपनी कॉपी मे लिखकर अरुण ने बताया...
"अबे फॉर्मल ड्रेस तो मैने नही पहनी है...साला फिर लफडा करेगा"
"एक प्लान है...."सामने बोर्ड पर जो कुछ लिखा हुआ था उसे उतारते हुए अरुण बोला"रिसेस होते ही यदि कॉलेज के बाहर भाग गए तो बचा जा सकता है, और रिसेस जैसे ही ख़तम होगा वापस आ जाएँगे...."
"सॉलिड आइडिया है...."
इसी दौरान सिविल वाली मैम बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए मूडी और उनके बड़े -बड़े अंग हमारे सामने थी....वैसे तो सिविल वाली मैम की एज 45+ रही होगी और उन्हे सामने से देखकर कोई ग़लत ख़यालात अपने मन मे ना लाए, लेकिन पीछे से यदि कोई उन्हे देखे तो फिर........ ये कहना मुश्किल है.
"ओये, साले इसको तो छोड़ दे"मेरी नज़र पूरी तरह से सिविल वाली मैम पर गड़ी हुई थी, जब अरुण ने मुझे टोका....
"क्या हुआ..."मैं ऐसे रिएक्ट करने लगा जैसे मैने कुछ किया ही ना हो , लेकिन अरुण मुझसे ज़्यादा कमीना था
"अबे इसे क्यूँ घूर रहा है, इसे तो सब लोग मम्मी बोलते है...."
"मम्मी ? "
"नवीन बोल रहा था कि ये बहुत प्यार से पढ़ाती है...मतलब कि एक क्वेस्चन को चाहे जितने बार भी पुछ लो, हमेशा शांत ही रहती है...मम्मी, प्रोफेसर है ये यहाँ लेकिन इस बात का इसे बिल्कुल भी घमंड नही है..."
उस पूरे क्लास मे मैने और अरुण ने फुल मस्ती की , सिविल वाली मैम ने हमे कई बार बात करते हुए और हँसते हुए भी देखा, लेकिन वो हर बार इग्नोर कर देती....सिविल वाली मैम सच मे मम्मी थी यार...
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पिछले कुछ दिनो की तरह मैं आज भी रिसेस मे एश के क्लास मे घुसा इस आस मे कि शायद वो लेट आई होगी, लेकिन जवाब एक बार फिर ना मे सर हिलाकर अरुण के दोस्त ने दिया....उसके बाद मैं और अरुण बाइक स्टॅंड पर आए, मैने नवीन की बाइक की चाबी उससे माँग ली थी, बाइक स्टॅंड पर जहाँ एक तरफ अरुण ,नवीन की बाइक निकाल रहा था वही मैं दूसरी तरफ उस जगह को देख रहा था,जब कुछ दिन पहले मैने एश को पहली बार देखा था....उसकी कार आज वहाँ नही खड़ी थी और ना ही एश उस दिन की तरह वहाँ थी,लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे मोहब्बत सी हो गयी थी उस जगह से, मैं उस तरफ बढ़ ही रहा था कि अरुण ने हॉर्न मारा....
"ओये इधर पेशाब मत कर, बाहर कर लेना...."अरुण चिल्लाकर मुझसे बोला जिसके कारण वहा से आ जा रहे कुछ लड़किया हसने लगी...
"अबे मैं... तेरी तो ."आगे क्या बोलू कुछ समझ नही आया इसलिए मैं इतना बोलकर चुपचाप वापस हो लिया और कूदकर बाइक मे बैठ गया....
"दो प्लेट समोसा देना काका..."कॉलेज के मेन बिल्डिंग से 2 कि.मी. दूर कॉलेज का मेन गेट था और उसी के आस-पास बनी दुकानो मे से एक दुकान पर बैठ कर मैने दो प्लेट समोसे का ऑर्डर दिया....
"एक प्लेट बना के देना...मतलब नमकीन, सलाद, तीखी-मीठी-कड़वी चटनी सब डाल देना....और हाँ थोड़ा दही भी डाल देना..."अरुण ने अपनी फरमाइश झाडी , जिसे सुनकर मैने कहा...
"जब इतना सब कुछ डलवा रहा है तो थोड़ा ज़मीन की मिट्टी भी डलवा लियो..."
"वो तेरे लिए छोड़ी है...."
"थैंक्स ..."
पेट पूजा करने के बाद अरुण ने अपने जेब से 10 का नोट निकालकर टेबल पर ऐसे फैंका जैसे ताश खेलने वाला हुकुम का इक्का फैंकता है.....
"मैं आज भी फेके हुए पैसे नही उठाता...."मैने कहा
"ठीक है..."उस 10 के नोट को उठाते हुए अरुण ने कहा"तू ही दे दे मेरा बिल..."
"नही बे मैं तो ऐसे ही अमिताभ बच्चन का डाइलॉग मार रहा था...."और मैने उसके हाथ से 10 का नोट छीन लिया.....
रिसेस ख़त्म होने मे अब कुछ देर ही रह गयी थी तब मैं और अरुण क्लास की तरफ पहुचे, हम दोनो उस वक़्त खुद को चालाक समझ कर बहुत खुश हो रहे थे कि रिसेस मे होने वाली रैगिंग से हम दोनो बच गये, लेकिन हमारी चालाकी उस वक़्त दम तोड़ गयी जब बाइक स्टैंड पर बाइक खड़ी करने के बाद वहा मौज़ूद सीनियर्स ने हमे पकड़ लिया.....
"अरमान & अरुण...."सीनियर्स के पुछने पर मैने हम दोनो का नाम बताया.....
"तेरा क्या नाम है..."
"अरमान...."
अभी मैने अपना नाम ही बताया था कि हॉस्टल वाला वो सीनियर वहाँ आ धमका जिसने कल से मुझे परेशान कर रखा था, उसने पहले अपने दोस्तो से हाथ मिलाया और फिर मुझे देखकर अपने दोस्तो से बोला...
"और पहलवान क्या हाल चाल है..."
"सब बढ़िया...."
मेरा इतना कहना था कि उसने कस कर एक थप्पड़ मेरे गाल मे तुरंत जड़ दिया और उसके बाकी दोस्त हँसने लगे.....
"कितनी बार समझाया कि आइ कॉंटॅक्ट मत कर...लेकिन तेरे पिछवाड़े मे बात घुसती ही नही...."
खून का घूट पीकर मैने अपनी आँखे नीचे की और जब सारे सीनियर्स ने मुझे घेर लिया तो मैं समझ गया कि मेरे साथ कुछ बुरा होने वाला है कुछ बहुत ही बुरा....जिसकी मैने कल्पना तक नही की थी..........
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हमारे भारत देश के संविधान के किसी धारा के किसी अनुच्छेद मे ये सॉफ कहा गया है रैगिंग अपराध है और वहाँ बाइक स्टैंड पर यही अपराध हो रहा था.....मुझसे जाने क्या दुश्मनी थी कि वो हॉस्टल वाला सीनियर हाथ धो के मेरे पीछे पड़ा हुआ था और उस वक़्त मैं वहाँ बिल्कुल अकेला था....कुछ देर पहले अरुण ने बीच बचाव करने की कोशिश की थी,लेकिन जब अरुण की रोक टोक से सीनियर ज़्यादा परेशान हो गये थे तो उन्होने एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर उसे वहाँ से चलता किया और मुझे अपनी बाइक मे बीचो -बीच बैठा कर वहाँ से दूर कॉलेज ग्राउंड पर ले आए..... बीच मे इसलिए बिठाया ताकि मै कूदकर भाग ना जाऊं...
"बाइक से उतरेगा बे घोंचू या उठा कर नीचे फेकू...?"ग्राउंड मे पहुंचने के बाद भी जब मै बाइक मे बैठा रहा तो उस हॉस्टल वाले सीनियर ने कहा
उस वक़्त मुझे लगा कि काश मेरे पास कोई सूपर पॉवर या कुछ ऐसा होना चाहिए था जिससे मैं इनकी बैंड बज़ा सकूँ....लेकिन मैं एक नॉर्मल स्टूडेंट था जिसने फर्स्ट अटेंप्ट मे ही इतना शानदार कॉलेज पाया था....... पर अब इतने शानदार कॉलेज मे आने का खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा था.
"मुझे यहाँ क्यूँ लाए हो सर..."बाइक से उतर कर मैं नजरें झुकाये घबराती आवाज़ मे पूछा....
मेरे सवाल करने से वो और भी भड़क जाएँगे ये मैं जानता था, लेकिन वहाँ चुप खड़ा रह भी तो नही सकता था....इसलिए मैने उनसे मुझे वहाँ लाने का रीज़न पुछा और जैसे कि मेरा अनुमान था मुझे जवाब मे एक थप्पड़ मिला और साथ ही साथ मेरे पीठ पर पीछे से एक लात और नतीज़ा ये हुआ कि मैं सीधे ग्राउंड पर जा गिरा ..... गिरते वक़्त मैने अपना हाथ टिका दिया था, जिसके कारण मेरी कोहनी कई जगह से छील गई थी. उस समय डर भी लग रहा था, गुस्सा भी आ रहा था और साथ मे रोना भी आ रहा था... लेकिन...
"ऐसा तो सबके साथ होता होगा..."ये सोचते हुए मैने अपने अंदर के भावो को दबाया और वापस खड़ा होकर कपडे और कोहनी की धुल साफ करने लगा...
ग्राउंड कॉलेज से लगभग 2 km दूर था और जब कॉलेज लगा हो तो उधर एक्का-दुक्का ही आते थे, लेकिन उस दिन जब मैं अपने चेहरे पर हाथ फिरा कर धूल सॉफ कर रहा था तो मुझे दो-तीन बाइक की आवाज़ सुनाई दी जिनकी आवाज़ समय बीतने के साथ और तेज होती गई और फिर वो सभी बाइक ग्राउंड मे आकर खड़ी हो गयी. उन बाइक्स पर लड़को के साथ -साथ लड़किया भी सवार थी और उन लड़कियों मे से एक वही चुड़ैल थी जो अक्सर कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी होकर गालियाँ बकती थी..... जिसने कैंटीन मे मेरे चेहरे मे समोसा पोता था...
"7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाले उस गधे को भी बुला लो बे, बस उसी की कमी है...."ये मैने खुद से कहा....एक नॉर्मल पढ़ने वाला स्टूडेंट जब ऐसी सिचुयेशन मे फँसता है तो वो अक्सर घबराया हुआ होता है और कुछ का मूत तक निकल जाता है,लेकिन मैं अब थोड़ा अजीब बिहेवियर कर रहा था और अंदर ही अंदर कॉमेडी करे जा रहा था...... क्यूंकि जो चीज मुझे बुरी लगती है मै उसका मज़ाक बनाना शुरू कर देता हूँ...
Sana Khan
01-Dec-2021 02:04 PM
Good
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Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:10 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 05:17 PM
बहुत ही रोमांचक
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